तू सवाल नही एक पहेली है
मेरी मंझिल तू नही तेरी सहेली ही
चाँदपे काली घटा छाती तो होगी
सितारोंको मुस्कुराहट आती तो होगी
तुम लाख छुपाओ दुनियासे मगर
अकेलेमें तुम्हे अपनी शकलपे हँसी आती तो होगी
घुन्गटमें तुझे देखा तो दीवाना हुआ
संगीतका तराना हुआ, शमाका परवाना हुआ
मस्तीका मस्ताना हुआ, जैसेही घुन्गट उठाया
इस दुनियासे रवाना हुआ
जबजब हमे प्यास लगती है
उनके आनेकी आस लगती है
उनकी दीवानगीमें हम हो गए इतने दीवाने
की हर लड़कीकी माँ अपनी सास लगती है
दिलके दर्दको जुबापे लाते नही
हम अपनी आखोसे आसू बहाते नही
जख्म चाहे कितनाभी गहरा क्यो ना हो
हम Dettol के सिवा कुछ लगाते नही
Sunday, December 28, 2008
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1 comment:
अच्छी कविता है। हिन्दी में और लिखिये।
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