A friend forwarded this rather grim, but very thought-provoking sher:
एक शमशानके बाहर लिखा हुआ शेर:
मंझिल तो तेरी यही थी
बस जिंदगी गुजर गयी तेरी आते आते
क्या मिला तुझे इस दुनियासे
अपनोनेही जला दिया तुझे जाते जाते
Monday, December 26, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment