फिजूल ही पत्थर रगड कर आदमीने चिंगारी की खोज की
अब तो आदमी आदमी से जलता है
मैने बहोतसे इन्सान देखे है जिनके बदन पर लिबास नही होता
और बहोतसे लिबास देखे है, जिनके अंदर इन्सान नही होता
कोई हालात नही समझता, कोई जज्बात नही समझता
ये तो बस अपनी अपनी समझ की बात है
कोई कोरा कागज भी पढ लेता है
तो कोई पूरी किताब नही समझता
(Forwarded)
अब तो आदमी आदमी से जलता है
मैने बहोतसे इन्सान देखे है जिनके बदन पर लिबास नही होता
और बहोतसे लिबास देखे है, जिनके अंदर इन्सान नही होता
कोई हालात नही समझता, कोई जज्बात नही समझता
ये तो बस अपनी अपनी समझ की बात है
कोई कोरा कागज भी पढ लेता है
तो कोई पूरी किताब नही समझता
(Forwarded)
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