I will sign off for the day with 2 SMSs that simply took my breath away:
तुम मुझे मौक़ा तो दो तुम्हारा ऐतबार बननेका
थक जाओगे चलते चलते मेरी वफाके साथ
वो जो औरोंको बताता है जीनेके तरीके
खुद अपनी मुठिमे मेरी जान लिए बैठा है
Monday, December 21, 2009
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