A friend forwards absolute gems of Urdu poetry so you have him to thank if you like the following ones:
फिर इतने मायूस क्यों हो उसकी बेवफाई पर फ़राज़
तुम ख़ुद ही तो कहते थे के वो सबसे जुदा है
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कुछ धड़कता तो है पहलु मे मेरे रह कर
अब खुदा जाने याद है तेरी या दिल मेरा
Thursday, December 10, 2009
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