Monday, October 31, 2011

अर्ज है.....

अपनी तो मोहबतकी इतनी कहानी है
टूटी हुई कश्टी और ठेहरा हुआ पानी है
एक फ़ूल किताबोंमे दम तोड चुका है
मगर कुछ याद नही आता ये किसकी निशानी है

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