Friday, June 10, 2016

बिकती है ना खुशी कही,
ना कही गम बिकता है...
लोग गलतफहमीमें है,
की शायद कही मरहम बिकता है...

इन्सान ख्वाहिशोंसे बंधा
हुआ एक जिद्दी परिंदा है...
उम्मीदोंसेही घायल है...
उम्मीदोंपर ही जिंदा है

(Forwarded)

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